कॉमनवेल्थ का हासिल

लंदन के विंडसर कैसल में महारानी एलिजाबेथ के 92वें जन्मदिन पर कॉमनवेल्थ देशों का शिखर सम्मेलन (चोगम-2018) संपन्न हो गया। इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महारानी एलिजाबेथ ने बाकायदा प्रिंस चाल के हाथों विशेष न्योता भेजा था। चोगम-2018 का केंद्र बिंदु जलवायु परिवर्तन और युवाओं से जुड़ी चिंताएं ही रहीं ब्रिटिश साम्राज्य की परछाईं जैसे इस संगठन में शामिल 53 देशों की साठ फीसद आबादी युवा है और अधिकतर के पास दुनिया के बेहतरीन समुद्री तट हैं। शायद यही वजह रही कि नरेंद्र मोदी ने बैठक में सदस्य देशों के युवाओं को क्रिकेट ट्रेनिंग देने की बात तो कही ही, समुद्र में हो रहे खतरनाक परिवर्तनों से निपटने के लिए खासकर द्वीपीय देशों को गोवा के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान में ट्रेनिंग देने का वादा भी कियाकॉमनवेल्थ सचिवालय का अनुमान है कि सन 2030 तक इन परिवर्तनों की वजह से कॉमनवेल्थ देशों में 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे। सन 2030 तक कॉमनवेल्थ देशों के बीच व्यापार बढ़ाकर 2000 अरब डॉलर तक पहुंचाने पर सभी देशों के बीच सहमति बनी। हालांकि कॉमनवेल्थ का ही ट्रेड रिव्यू-2018 बताता है कि 2020 तक यह व्यापार 700 अरब डॉलर के आसपास पहुंचेगा इंटरनेट सुरक्षा के मुद्दे पर सभी देशों ने गंभीर चिंताएं व्यक्त की। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्टमंडल तकनीकी कोष में भारत का योगदान दुगना करने की भी घोषणा की। वैसे इस फंड में भारत अभी तक कितना योगदान देता रहा है, इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है। चोगम2018 भले ही 53 देशों का रहा हो, लेकिन इतना तो साफ है कि ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन ने नए रास्ते तलाशने की बेचैनी में ही इसका आयोजन किया। यह बेचैनी भारत और ब्रिटेन के बीच अलग से हुए द्विपक्षीय समझौतों में भी दिखती है, जिसमें सारा जोर व्यापार को और बढ़ाने सहित ब्रेग्जिट के चलते ब्रिटेन में नौकरियों पर छाए संकट को राहत पहुंचाने पर रहा। वैसे बीते वित्तीय वर्ष में भारत-ब्रिटेन व्यापार में 15 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन जिस तरह यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ब्रिटेन से स्कॉटलैंड के अलग होने का खतरा मंडरा रहा है, उससे इतना तो साफ है कि और किसी के लिए न सही, पर ब्रिटेन के लिए जीनेमरने का नाम कॉमनवेल्थ ही हो गया है।